घर में बनने वाला देसी घी फिर से हमारे लिए एक वरदान होने की पुष्टि कर रहा है. बहुत समय तक एक दुष्प्रचार हो देसी घी मोटापे, रक्तचाप और बहुत सी जीवनशैली-सम्बंधित रोगों को लाता है. और पूरी दुनिया में घी और माखन जैसे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक पदार्थों को जनमानस ने उनके जीवन से अलग-धलग कर दिया जैसी कि वो कोई ज़हर हो. इन अमृततुल्य पदार्थों की जगह हमने दे दी फैक्ट्री-निर्मित रसायनों से बने हुए रिफाइंड आयल, रिफाइंड शुगर और रिफाइंड नमक, और इन सबसे ही बने हुए जंक फूड्स को. सारा दिन रिफाइंड सामान खा कर दोष देसी घी अथवा माखन के सिर पर मढ़ना तो कोई न्याय की बात नहीं, बल्कि यह तो अपने ही स्वास्थ्य से अन्याय करना है. आइए जानते हैं देशी घी खाने के सवास्थ्य लाभ (desi ghee physical health benefits).
आयुर्वेद में देसी घी के बहुत से औषधीय और पुष्टि प्रदान करने वाले गुण वर्णित हैं. न जाने कितनी सदियों से देसी घी हमारे घरों में खाने का अभिन्न अंग है. यदि शुद्ध देसी घी, खासकर देसी गाय के दूध से बने देसी घी का इस्तेमाल किया जाए तो हमें अनगिनत स्वस्थ्य लाभ मिल सकते हैं. इससे पूरा परिवार शक्ति एवं ऊर्जा से भरपूर रहता है है. बढ़ती हुई उम्र के बच्चों को तो देसी घी अवश्य ही देना चाहिए— दाल भात के साथ, रोटी पर लगाकर या सब्जी में एक चमच्च डालकर. इसके उनके मस्तिष्क और बुद्धि का विकास अच्छा होता है. आँखों के लिए भी देसी घी का प्रयोग अत्यंत लाभकर है. जिन्हें अपनी स्किन में प्राकृतिक चमक और लावण्य की आकांक्षा है, उन्हें भी अवश्य देसी घी का सेवन करना चाहिए.
आईये जानते हैं देसी घी के बनाने और उसके सही इस्तेमाल के तरीके जिससे आप इस बहुमूल्य कुदरती वरदान का लाभ ले सकें. साथ ही जानते है कि देसी घी को उपलब्ध करने का सही तरीका. हमें याद रखना है कि जिस गौधन अथवा पशुधन से हमें यह सौगात मिलती है, हमें उनका भी ठीक से पोषण करना चाहिए. वास्तव में तभी देसी घी के इस्तेमाल से हमें निर्मल और शक्तिशाली बुद्धि प्राप्त हो सकती है.
देसी घी बनाने की विधि
देसी घी दूध से सारे मिल्क सॉलिड्स को निकल कर प्राप्त किया जाता है. इसमें, दूध में मौजूद पुजष्टिक वासा की मात्रा 99.8 % होती है. इसके कारण इसे देसी सुपरफूड भी कहा जाता है. हमारी नानी दादी और घर की माताएं घी बनाती ही थीं. उसके पहले जो मिटटी के बने भड़ोले में दूध को अच्छे से धीमी आंच पर रिझाती थी. जब ये दूध लालिमा-युक्त होता, उसे ठंडा किया जाता, उसपर लाल ही रंग की मलाई आती थी. पता नहीं किस किसने ये सब देखा है, पर हमने तो ये देखा है. यह पौष्टिक दूध आसानी से पचता था और इसी में थोड़ा पुराने दही डालकर उससे लाल रंग की दही जमाते थे एक बड़ी मिटटी की चाटी में.
जमने के बाद इस दही को मथते थे हाथ वाली मथनी से. अच्छी कसरत के साथ मेरी नानी घर के खाने का पूरा इंतज़ाम ऐसे प्यार से करती थी. जब उसमें से माखन निकलकर तैरने लगता, तो इतना मनमोहक दृश्य होता, लगता अभी ही माखन का पेड़ा खाने को मिल जाये! परन्तु हमारे नानी कुछ मक्खन सुबह के नाश्ते में देती और बाकी को धीरे-धीरे चूल्हे की गर्म सेक पर हांड़ी में पकातीं और उससे घी बनाती थीं. कई बार वो ये घी पूर्णमाशी को बनाती थी और फिर पास के मंदिर के भोज के लिए देकर आती.
हालांकि, भारत के घर-घर में ऐसे ही घी बनता था जो बहुत पौष्टिक था, परन्तु आजकल घी बनाने का समय माताएं या घर के पुरुष नहीं निकाल पाते हैं. आज के समय में घर में घी बनाने का सरल तरीका— ताजे दूध से निकली हुई मलाई को 3-4 दिन इकठ्ठा करके एक बड़े बर्तन में उसे मिक्स करलें, हल्का सा गर्म करके उसमें थोड़ा सा दही डालकर उसे दही की तरह जमाने को रखें. कुछ घंटों या रात भर के बाद, उससे अच्छे से मथें या तो लकड़ी के माखन बनाने वाले छोटी हांडी से या मशीन से. आपका घर में बना हुआ शुद्ध मक्खन थोड़ी ही देर में बन जायेगा. अब इसमें से अच्छे से लस्सी को अलग करें. मक्खन के बॉल्स बना लें. इनको एक कड़ाही या मिट्टी की हांडी में दाल ले. अब धीमी आंच पर पकने दें. बीच-बीच में चेक करें मक्खन कितना पक गया है.
कुछ देर में आपको घी की अच्छी खूब आने लगेगी. और आप पाएंगे की हांड़ी में दूध के तत्व और घी अलग अलग हो गये हैं. इस मिक्सचर को थोड़ा सा ठंडा होने दें. इसे पतले और साफ़ सफ़ेद मुस्लिन कपडे से छान लेना चाहिए. स्टील की बड़ी छन्नी लें, उसमें इस कपड़े को फैला कर रखें. छाननी को घी के साफ़ बर्तन पर रखें. उसमें से इस तैयार घी को छान लें. आपका घी तैयार है.
अगर आप ऐसे घर में घी बनाने में सक्षम नहीं है तो किसी भरोसेमंद दूधवाले अथवा घी के बनाने वाले से ही लें. बाजार में शुद्ध घी बेचने वाली कम्पन्यियों से घी तभी लें जब उनका लेबल अच्छे से पढ़ लें. लेबल पर ये जानकारी चेक करें—घी आर्गेनिक तरीके से बना हो, घास खाने वाली गाय के दूध से बना हो, उसमें कोई कलर या एडिटिव (additives) न डाले गए हों और वह FSSAI द्वारा अवश्य प्रमाणित हो. तभी आपको मिल सकते हैं देसी घी खाने के लाभ (desi ghee physical health benefits).
एक छोटी सी मोटी बात-घी सदा से लाभकर
घी के जो लाभ अब मेडिकल कम्युनिटी (medical community) के सामने आ रहे हैं और बहुत से पश्चिमी विज्ञानी और डॉक्टर भी इसी बात का समर्थन कर रहे है की घी या घर में मक्खन का सेवन करना मनुष्य के स्वस्थ्य के लिए लाभप्रद है. यहां तक की कई डॉकटरों ने कहा की घी न कहने की वजह से लाइफस्टाइल बीमारियां बढ़ती है जबकि असली दोषी रिफाइंड सफ़ेद चीनी है जो हम बाहर भर के खातें हैं. आपकी जानकारी के लिए सफ़ेद चीनी गंदक (sulphur) नाम के पदार्थ से बनायीं जाती है, इससे बनाए के लिए गन्ने जैसे पौधे लिए जाते हैं जो की बहुत अधिक कीटनाशक डालकर ही प्राप्त होते हैं. प्रचलित तरीके से उगाया जाने वाला गन्ना बहुत सा पानी मांगता है, और उससे नन्हे गन्ने के पौधों की जड़ें साल भर कीटनाशक वाले पानी में ही डूबी रहती रहती हैं. अब इस तरह से बानी हुयी चीनी हमारे लिए जहर नहीं होगी तो और क्या होगी?
जिस कीटनाशक से कीट, चूहे, पक्षी, इत्यादि—सब मर जाते हैं, क्या वह आपके शरीर को जीवन देगी? यह जहर जहाँ भी जायेगा, जहर का ही कार्य करेगा—तीव्र अथवा धीरे। बढ़ती हुई कैंसर पीड़ीतों की संख्या, अथवा सांस-सम्बन्धी रोगों का होना, उच्च रक्तचाप, दिल की बिमारी, यादाश्त कमज़ोर होना, अल्ज़ाइमर रोग, और ऐसे कितने ही रोग, रासायनिक खादों और कीटनाशकों से उत्पन्न पैदावार और उससे बनें खाद्य पदार्थों के सेवन से हो रही हैं.
सोचिये दिन भर भागदौड़ के बाद इंसान को एक निवाला भी मिलता है तो वह भी मिलावटी भोजन का हो, भोजन भी भोजन जैसा न हो, तो इतनी भागदौड़, मेहनत-मशक्कत का क्या मतलब रह जायेगा! इसलिए, नेचुरल फार्मिंग और अपने खेत अथवा बगीचे में लगें हुए फलों, सब्जियों का सेवन करना शुरू करें. घर में स्वादिष्ट व्यंजन बनाएं. शुद्ध घी और तेल से बने भोजन से आपकी कायाकल्प हो सकती है.
घी और गौमाता
पुराने समय में जिस गाय का दूध दोह कर परिवार दूध और उससे बनें पदार्थ खाते थे, उस गाय को पूरा परिवार माँ की उपाधि देकर उनकी सेवा भी करता था. गायों की मरणोपरांत देखरेख की जाती थी क्यूँकि वो परिवार का सदस्य हैं. अब जो गाय की दुर्दशा देखने को मिलती है, इससे हम मनुष्यों का भी भला कैसे हो सकता है? गाय, भैंस अथवा जो भी मवेशी से आपका दूध आता है, उनकी यथासंभव सेवा, देखरेख का सुचारु सुनिश्चित करना भी हमारा कर्त्तव्य है. वास्तव में स्वास्थ्य जैसे बहुमूल्य वस्तु का अधिकारी शास्त्रानुसार वही है जो शुभ कर्मों से जीविकोपार्जन करता है. अपने भोजन के लिए किसी पशु, मनुष्य अथवा वनस्पति का दुरूपयोग या उन्हें कष्ट देकर भोज्य पदार्थ प्राप्त करना दीर्घ काल में अपने जीवन में कष्ट को निमंत्रण देना ही है.
भारत में देसी गाय की विभिन्न प्रजातियां मौजूद हैं— जैसे की कर्णाटक में हल्लीकर, राजस्थान में राठी, गुजरात की गिर गाय, और पंजाब में साहीवाल प्रजाति. जब से मवेशी और जर्सी गाय आईं, देशी गाय की प्रजातियां लुप्त हो रहीं थी. परन्तु, जब से गाय के देसी घी के लाभ का ज्ञान लोगों को पुनः हुआ है, गाय की देशी प्रजातियां फिर से कृषि क्षेत्र में प्रधानता प्राप्त कर रही हैं.
किन्तु हमें गाय और हमारे पशुधन को सिर्फ पैसे का साधन ही नहीं बनाना अपितु ये उस स्नेह और प्रेम के सुपात्र हैं जो एक परिवार के सदस्य को मिलना चाहिए. इनसे हमे पौष्टिक दूह, दही, मक्खन, घी तो मिलता ही है, परन्तु स्नेह भी मिलता है. इसलिए अपने गौ-सेवा और पशुधन सेवा के संकल्प को भी आप मजबूत बनायें. इससे हम एक सशक्त और सुन्दर समाज का निर्माण करते हैं जिसका हमारी पीढ़ियों को भी दूरगामी लाभ मिलेगा.
देसी घी से मिलने वाले पौष्टिक तत्व-Desi Ghee Nutritional Composition Hindi
घी में मिश्रित ग्लिसराइडस, फ्री फैटी एसिड, फोस्फोलिपिड्स, स्टेरोल्स, स्टेरोल एस्टर, विटामिन ए, डी, ई, और के पाए जाते हैं. इसके अलावा घी में कार्बोनाइल्स (carbonyls), हाइड्रोकार्बन्स (hydrocarbons), करेटेनॉइड्स (caretenoids), कैल्शियम, फॉस्फोरस और लौह की आंशिक मात्रा होती है. इसमें बहुत कम अंश में जला हुआ कैसीन (दुग्ध प्रोटीन—casein) भी मौजूद होता है. देसी घी में लाभकारी लम्बी कड़ी वाले (long-chain), मध्य कड़ी वाले (medium-chain) और लघु कड़ी वाले फैटी एसिड (short-chain fatty acids) भी पाए जाते हैं. इसके साथ ही साथ घी में ओमेगा 3 (omega 3), ओमेगा 6 (omega 6) और ओमेगा 9 (omega 9) भी मौजूद है जो स्वास्थ्य के लिए बहुत उत्तम है. कुछ रिसर्च में पाया गया है कि इन पौष्टिक तत्वों के प्रभाव से घी पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में सहायक सिद्ध होता है. (1)
देसी घी को खाने के लाभ– Physical Health Benefits of Desi Ghee
गाय के दूध से बने देसी घी खाने से स्वास्थ के अनगिनत लाभ मिलते हैं. इसे आप अपने भोजन में अवश्य शामिल करें.
1). पाचन तंत्र को मजबूत करता है-Desi Ghee Helps Strengthen Digestive System
यह कहा जा सकता है की गाय से प्राप्त होने वाला घी भैंस के दूध से बने घी से अधिक सुपाच्य है. इसलिए गाय के घी के सेवन से पाचक तंत्र को अधिक स्फुरण एवं शक्ति प्राप्त होती है. साथ ही जो घी बिलोना या फेरमेंटशन के तरीके से निर्मित किया जाता है, वह अधिक पोषक और सुपाच्य होता है. ऐसा इसलिए क्यूंकि इसमें लैक्टिक एसिड जैसा तत्व मौजूद है. अपने अनोखे तत्वों के कारण देसी घी शरीर में पाचन क्रिया को मजबूत करता है. इसके अतिरिक्त घी में मौजूद ब्यूटिरिक एसिड के कारण घी शरीर में आतंरिक सूजन और दाह का शमन करता है और यह पाचन तंत्र के तंतुओं को भी पुष्टि देता है.
2). रोग प्रतिकारक शक्ति को मजबूत करता है-Desi Ghee Helps Build Immunity
घी में मौजूद उच्च कोटि के पोषक तत्व शरीर के रोगमारक तंत्र को मजबूत करते हैं. ओमेगा ३, बब्यूटेरेट, कोंजूगेट लिनोलेइक एसिड, और विटामिन ए , डी , ई और के, फॉस्फोरस, ंप्राकृतिक आयोडीन, उन तत्वों में से हैं. ये घास चरने वाली गाय के दूध में भैंस के दूध के मुकाबले अधिक पाए जाते हैं. ये शरीर की प्रतिक्रमण शक्ति को बढ़ाते हैं. इनसे खून में मौजूद सफ़ेद कोशिकाओं में वृद्धि होती है. आयुर्वेद अनुसार कहा जा सकता है कि घी बलवर्धक है और शरीर में रोगमारक का कार्य करता है.
3). वजन संतुलित करने में सहायक-Desi Ghee Helps in Weight Loss
जहाँ एक तरफ पहलवान समुदाय देसी घी का सेवन सेहत और बल में वृद्धि के लिए करता है, दूसरी और ये स्पष्ट हो रहा है की गाय के घी के सेवन से बढे हुए वजन में कमी आती है (2). यह वजन घटाने में उपयोगी सिद्ध हो सकता है. क्यूंकि घी शरीर के तंत्रों को सुचारु रूप से चलने की शक्ति प्रदान करता है. घी शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालता है, इसलिए यह शरीर में दाह को भी काम करता है. यह शरीर में उपचय और अपचय (anabolism-catabolism) में सामंजस्य स्थापित करता है.
घी में मौजूद वसा तृप्ति को बढाकर बार बार भूख लगने को रोकती हैं. लिनोलेइक एसिड (linoleic acid) से शरीर में मौजूद अधिक वसा नष्ट हो जाती तथा ऊर्जा में रूपांतरित हो जाती है. घी में मौजूद प्राकृतिक आयोडीन से थाइरॉयड की बिमारी भी नियंत्रण में आती है. इस प्रकार यह वज़न काम करने में सहायक सिद्ध होता है.
4). ह्रदय को पुष्ट करता है-Desi Ghee Helps Strengthen Heart
आम मान्यता के विपरित घी में मौजूद दीर्घ कड़ी फैटी एसिड्स और सैचुरेटेड वासा जो प्राकृतिक तरीके से उत्पन्न है (बिना प्रोसेसिंग के बने), वे धमनियों के आतंरिक परत पर दाह का शमन करते हैं. इसे धमनियों में प्लाक जमने की सम्भावना काम हो जाती है. स्वस्थ धमियों में रक्त संचार भी अच्छा होता है. इससे मुख्य अंग जैसे की ह्रदय पुष्ट रहते हैं. किन्ही मेडिकल रिसर्च (3, 4, 5) में पाया गया है की गाय का घी का नियमित सेवन करने से उच्च रक्तचाप की बिमारी का नियंत्रण और शमन होने में सहायता मिलती है. घी में मौजूद हाई डेंसिटी कोलेस्ट्रॉल (High-Density cholesterol-HDL) से कोशिकाओं की बाहरी परत सुगठित होती है. इससे कोशिकाएं स्वस्थ होती हैं. विटामिन डी भी ह्रदय को सावस्थ्य प्रदान करता है.
5). बुद्धि और मस्तिष्क के विकास में सहायक– Desi Ghee Helps Improve Brain Health
बिलोना घी को आयुर्वेद में मेध्य रसायन कहा गया है. इससे मानसिक सतर्कता, अनुभूत करने की शक्ति, बुद्धि, यादाश्त, और धारण और ग्रहण करने की शक्ति भी बढ़ती है. देसी घी में मौजूद एसेंशियल फैटी एसिड (essential fatty acids) मस्तिष्क के तंत्रिका तंतुओं को पुष्ट करते हैं तथा ग्रहण, धारण, और एकाग्रता शक्ति को विकसित करते हैं. नियमित रूप से देसी घी का सेवन करने से अल्झाइमर जैसी भयंकर न्यूरोडीजनरेटिव बीमारियों से बचे रहने में सहायता मिलती है. (4)
6). आँखों के लिए लाभप्रद– Desi Ghee Helps Improve Eye Health
घी हमारी आँखों को भी स्वस्थ रखता है. घी के सेवन से न सिर्फ आँखों के नीचे काले घेरे और पतली रेखाओं का शमन होता, ये आँखों में सूजन और दाह भी घटाता है. घी के सेवन से रात्रि में देखने की क्षमता भी बढ़ती है. घी में करेटेनॉइड और विटामिन ए होने से ये आँखों के रंग को पहचानने वाली कोशिका रॉड कोशिका में रंगों की ग्रहणशीलता को बढ़ाता है. इसके आलावा घी में लूटें नाम का करेटेनॉइड बढ़ती उम्र के आँखों का रोग मैकुलर डीजनरेशन को भी रोकने में सहायक है.
7). त्वचा और बालों के स्वास्थ्य में लाभदायक-Desi Ghee Helps Make Hair and Skin Healthy
वैदिक घी और औषधीय रूप से घी का प्रयोग घाव ठीक करने में किया गया है. ये घी सदियों से त्वचा और बालों के सवस्थ को भी बढ़ाता है. घी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट प्रदूषण और सूर्य की पराबैगनी किरणों से उत्पन्न फ्री रेडिकल्स से बचते हैं. इस तरह से समय से पहले आने वाली झुर्रियों से त्वचा और शरीर की रक्षा करते हैं. घी में त्वचा और बालों के स्वास्थ को पुनर्जीवित करने की क्षमता भी पाई जाती है. इसमें मौजूद विटामिन ए, डी और ई से त्वचा में एक चमक तो आती ही है, उसके साथ ही घी लगाने से चोटिल स्थान को जल्दी मरम्मत मिलती है. बाहर से घी लगाने से यह त्वचा की नमी बनाए रखता है. अगर बालों में उपयोग किया जाये तो यह एक कंडीशनर का काम करता है और बालों को चमकदार, घने और सुन्दर बनाने में मदद करता है.
8). डिटॉक्सीफाई (Detoxify) करने में सहायक– Desi Ghee Helps in Detoxification
देसी गाय का घी शरीर में उत्पन्न मॉल को बाहर निकलने में सहायक है. ये यकृत (लिवर) के करायशीलता को बढ़ाता है और शरीर में उत्पन्न आम को नष्ट करने में सहायक है. घी के नियमित सेवन से शरीर से मॉल निष्कासन को सुचारु होने में सहायता मिलती है. यह आपकी बीमारियों से बचाकर सेहतमंद और प्रसन्न रखने का कार्य करता है.
घी का उपयोग कैसे करें?- How to Use Cow Desi Ghee
देसी घी को उपयोग में लाने से सरल कोई कार्य नहीं है. आप इसको दाल या सब्जी पर एक चमच्च डालकर उनका स्वाद बढ़ाएं और सेवन करें. रोटी पर भी घी लगाना चाइये. घी को सुबह खली पेट एक चम्मच सेवन करें, गर्म पानी या हलके गुनगुने दूध के साथ. इसके बहुत ही अधिक सेहत लाभ अति शीघ्र मिलते हैं. इससे आप सूप में दाल सकते हैं. गृहणियां तो इसका उपयोग छौंक लगाने, तलने, और सब्जियों को तड़कने (saute) में भी करती हैं. इसके अलावा घी को ब्रेड या टोस्ट पर लगते हैं और इसे बेकिंग में भी इस्तेमाल किया जा सकता है. कई लोग देसी घी में बनी मिठाई, बिस्किट और कूकीज (cookies) भी बनाते हैं. तो है न घी स्वाद और सेहत का वरदान!
अंततः– Conclusion- Physical Health Benefits of Desi Ghee
अब देसी गाय का घी रोज़ उपयोग करना शुरू करें. खुद भी खाएं और परिवार को भी खिलाएं. इससे मिलने वाले अद्भुत लाभ से स्वयं को वंचित न रहे. घी मस्तिष्क, ह्रदय और धमनियों को शक्ति और स्वस्थ प्रदानकर्ता है.
यह छोटी उम्र के बच्चों से लेकर कुमार अवस्था और यवाओं और वृद्धों सबके लिए स्वास्थ्य का अमूल्य वरदान है. ये न केवल भोजन को स्वादु बनता है, अपितु अनंत रूप से स्वास्थ्य लाभ भी देता है. न केवल शारीरिक स्वास्थ में लाभ देता है, बल्कि यह मन को भी प्रसन्न रखता है. इसलिए एक चमच्च घी अपनी भोजन की थाली की दाल-भात, दाल-रोटी, सब्जी में डालना न भूलें.
देसी घी घर में बनायें व फिर अपने विश्वसनीय दूधवाले से लें. अगर आप बाजार से देसी घी लेते हैं तो FSSAI और आर्गेनिक लेबल देख कर ही लें. याद रखें, शुद्ध देशी घी के सेवन से ही प्राप्त हो सकते हैं स्वास्थ्य लाभ (physical health benefits of desi ghee).
References:
- Ghee: Its Chemistry, Processing and Technology, N.C. Ganguli, M.K. Jain, National Dairy Research Institute, Karnal, India, Received 1 July 1972, Available online 29 April 2010.
- Health benefits of ghee (clarified butter) – A review from ayurvedic perspective, Mahesh Shivnanjappa, Sindhuja S, Prakruthi M, Manasa R, October 2020, 3(3):64-72, DOI:10.18231/j.ijnmhs.2020.014
- Omega-3 Fatty Acids for the Management of Hypertriglyceridemia: A Science Advisory From the American Heart Association, Ann C. Skulas-Ray, Peter W.F. Wilson, William S. Harris, Eliot A. Brinton, Penny M. Kris-Etherton, Chesney K. Richter, Terry A. Jacobson, Mary B. Engler, Michael Miller, Originally published19 Aug 20, 2020 Jan-Feb; 117(1): 65–69.
- The Benefits of Omega-3 Fats for Stabilizing and Remodeling Atherosclerosis, James J. DiNicolantonio, PharmD and James H. O’Keefe, MD
- Whole blood omega-3 fatty acid concentrations are inversely associated with blood pressure in young, healthy adults, Filipovic, Mark G.; Aeschbacher, Stefanie; Reiner, Martin F.; Stivala, Simona; Gobbato, Sara; Bonetti, Nicole; Risch, Martin; Risch, Lorenz; Camici, Giovanni G.; Luescher, Thomas F.; von Schacky, Clemens; Conen, David; Beer, Juerg H., ournal of Hypertension 36(7):p 1548-1554, July 2018, DOI:10.1097/HJH.0000000000001728